यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी बहुत बड़ी संख्या बुजुर्ग लोगों में पाई जाती है | इसे बहुत पहले ही ज्ञात किया जा चुका था और भारत में इसे कंपवात नामक नाम की बीमारी कहा जाता था | ये कोई कॉमन बीमारी नहीं है | इसका इलाज़ होने के बावजूद लोग इसका सही उपचार नहीं करवाते | अक्सर लोग इसे बुढ़ापे की बीमारी मानकर इसे गंभीरता से नहीं लेते | ये धीरे से आने वाली बीमारी है |
पार्किंसन में हमारे दिमाग का डोपामाइन का स्तर नीचे गिरने लगता है | जब निग्रा सेल्स मरने लगती हैं तो डोपामाइन का स्तर गिरता है जिससे हमारे शरीर के सभी हिस्सों मे जाने वाले संकेत सही समय पर पहुँचना बंद कर देते हैं | वैसे तो ये बीमारी बुजुर्गों में पाई जाती है लेकिन कभी कभी आनुवांशिक होने की वजह से बच्चों में भी इसका असर देखा जा सकता है |
पार्किंसन बीमारी न्यूरोन में होने वाले डिसोर्डर वाली बीमारी है | इसमें अक्सर मरीज का दिमाग का वो हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है जिससे हमारे शरीर का पूरा कंट्रोल होता है | परिणाम स्वरूप हमारे शरीर पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं रह जाता और हाथ पाँव हिलने लगते हैं | इसका पहले ज्यादा पता नहीं चलता लेकिन धीरे धीरे ये हमारे शरीर पर प्रभाव डालने लगता है | इसका सबसे ज्यादा असर आपके चलने, बात करने, सोने, सोचने से तक पर पड़ने लगता है | मरीज के दिमाग पर बहुत ज्यादा असर होने लगता है | मरीज के शरीर मे कंपन्न होने लगती है | कभी कभी बैठने पर बहुत देर तक बैठे रह जाना भी इसके मुख्य लक्षणों में से पाया जाता है | इस बीमारी मे आपके लिखने की क्षमता भी खत्म हो जाती है | आप ज़्यादातर चीजों को, लोगों को भूलने लगते हैं | खाना खाने में भी आपको कठिनाई होने लगती है | त्वचा से संबन्धित बीमारी बढ़ जाती है ओर मरीज को मूत्र भी अधिक लाग्ने लगता है |मरीजों में अनिद्रा की बीमारी बढ़ जाती है |
एशियन न्यूरो सेंटर जहां बेल्स पाल्सी (चेहरे का पक्षाघात) के उपचार में कुशल सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट स्थिति का आकलन करते हैं, गुणवत्ता देखभाल सुनिश्चित करने और आपके तंत्रिका संबंधी विकार बेल्स पाल्सी की सफल वसूली सुनिश्चित करने के लिए दवाएं देते हैं।
परामर्श न्यूरोलॉजिस्ट।