अल्जाइमर रोग एक मानसिक रोग के रूप में जाना जाता है | इसमें मस्तिस्क की कोशिकाएँ खुद ही बनने और ख़त्म होने लगती हैं जिससे रोगी के मानसिक कार्यों और याददाश्त में गिरावट आने लगती है | इस रोग में रोगी अपने दैनिक कार्यों में भूलने और सही से किसी भी चीज़ का अनुमान लगाने में गलती करने लगता है |
अल्जाइमर रोग अधिकतर आनुवंशिक कारणों से, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारणों से भी हो सकता है | यह धीरे धीरे बढ़ता है और मस्तिष्क पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है |
इस रोग में मस्तिष्क की कोशिकाएँ मरने लगती हैं | स्वस्थ मनुष्य के दिमाग की तुलना में अल्जाइमर के रोगी के दिमाग कि कोशिकाएँ बहुत कम होती हैं और जीवित कोशिकाओं से इनका संपर्क बहुत कम होता है |
प्रारंभिक चरण – रोगी की याददाश्त में कमी आने लगती है | इसमें रोगी के बर्ताव में कुछ बातें जैसे शब्द याद रखने में परेशानी, नाम भूलना, पढ़ी बातों को भूल जाना, चीज़ों को रखकर भूल जाना आदि समस्या आने लगती हैं |
दूसरा चरण – यह सबसे लम्बे समय तक चलता है और इसमें रोगी की देखभाल भी बहुत अधिक करनी होती है | इसमें रोगी का व्यवहार बदल जाता है | इसमें रोगी स्नान करने से मना करता है, अपनी बातों को अभिव्यक्त करना मुश्किल हो जाता है | व्यक्तिगत और व्यावहारिक स्थिति में बदलाव आने लगते हैं | नींद अधिक आने लगती है |
तीसरा चरण – यह सबसे खतरनाक होता है जिसमें रोगी अपने आस पास के वातावरण में प्रतिक्रिया करने में असमर्थ हो जाता है और किसी भी चीज़ पर नियंत्रण खो देता है | रोगी का दैनिक जीवन पूरी तरह से बिगड़ जाता है |
इस रोग में पहले बहुत कम लक्षण दिखते हैं | ये समय के बाद धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं और विकट परिस्तिथि पैदा कर देते हैं | जैसे कि:
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