पार्किंसन रोग एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ खराब होता जाता है। यह रोग मुख्य रूप से डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर (रासायनिक संदेशवाहक) का उत्पादन करने वाली मस्तिष्क कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है।
हालांकि इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआती पहचान और उचित प्रबंधन लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
पार्किंसन रोग एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकार है, जो शरीर की गति को प्रभावित करता है। इसके सामान्य लक्षणों में हाथों में कंपन (अक्सर एक हाथ में शुरू होता है), मांसपेशियों में अकड़न, गति में धीमापन (ब्रेडीकिनेसिया), और संतुलन व समन्वय में कठिनाई शामिल हैं।
ये लक्षण मस्तिष्क में डोपामाइन बनाने वाली कोशिकाओं के क्षय के कारण होते हैं। डोपामाइन शरीर की गतिविधियों को सुचारू रूप से नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पार्किंसन रोग आमतौर पर वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
उम्र के अलावा, कुछ अन्य कारक भी पार्किंसन रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
पार्किंसन रोग मुख्य रूप से वृद्धों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है, विशेष रूप से आनुवंशिक कारकों वाले व्यक्तियों में। यदि आप या आपके कोई परिचित पार्किंसन रोग के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो जल्द से जल्द एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
शुरुआती निदान और उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। शोधकर्ता इस बीमारी के कारणों और प्रभावी उपचारों को खोजने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
डॉ नवीन तिवारी
परामर्श न्यूरोलॉजिस्ट।