पार्किंसन रोग किस उम्र में होता है?

What are the Stages of Parkinson’s Disease?
July 18, 2025
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पार्किंसन रोग किस उम्र में होता है?

पार्किंसन रोग एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और समय के साथ खराब होता जाता है। यह रोग मुख्य रूप से डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर (रासायनिक संदेशवाहक) का उत्पादन करने वाली मस्तिष्क कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है।

हालांकि इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआती पहचान और उचित प्रबंधन लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

पार्किंसन रोग क्या है?

पार्किंसन रोग एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकार है, जो शरीर की गति को प्रभावित करता है। इसके सामान्य लक्षणों में हाथों में कंपन (अक्सर एक हाथ में शुरू होता है), मांसपेशियों में अकड़न, गति में धीमापन (ब्रेडीकिनेसिया), और संतुलन व समन्वय में कठिनाई शामिल हैं।

ये लक्षण मस्तिष्क में डोपामाइन बनाने वाली कोशिकाओं के क्षय के कारण होते हैं। डोपामाइन शरीर की गतिविधियों को सुचारू रूप से नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पार्किंसन रोग किस उम्र में होता है?

किस उम्र में होता है पार्किंसन रोग?

पार्किंसन रोग आमतौर पर वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

  • मध्यम आयु और वृद्धावस्था: पार्किंसन रोग के अधिकांश मामले 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में देखे जाते हैं। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, डोपामाइन-उत्पादक न्यूरॉन्स की संख्या स्वाभाविक रूप से कम होती जाती है, जिससे यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • कम उम्र में पार्किंसन (Young-Onset Parkinson’s Disease – YOPD): कुछ लोगों में 50 वर्ष की आयु से पहले भी पार्किंसन रोग विकसित हो सकता है। इसे “कम उम्र में पार्किंसन रोग” (YOPD) कहा जाता है। YOPD के मामले कुल पार्किंसन रोगियों का लगभग 5-10% होते हैं। YOPD के कारण अक्सर आनुवंशिक कारक होते हैं।
  • किशोर पार्किंसन (Juvenile Parkinsonism): दुर्लभ मामलों में, पार्किंसन के लक्षण 20 वर्ष की आयु से पहले भी दिखाई दे सकते हैं। इसे “किशोर पार्किंसन” कहा जाता है और यह अक्सर विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन (genetic mutations) से जुड़ा होता है।

पार्किंसन रोग  जोखिम कारक

उम्र के अलावा, कुछ अन्य कारक भी पार्किंसन रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

  • आनुवंशिकी (Genetics):  यदि आपके परिवार में पार्किंसन रोग का इतिहास है, तो आपको यह होने का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है।
  • लिंग (Gender): पुरुषों में महिलाओं की तुलना में पार्किंसन रोग विकसित होने की संभावना थोड़ी अधिक होती है।
  • पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors): कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कीटनाशकों और जड़ी-बूटियों जैसे कुछ पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से पार्किंसन रोग का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि इस पर और शोध की आवश्यकता है।
  • सिर में चोट (Head Trauma): कुछ शोधों से पता चलता है कि गंभीर सिर की चोटों का इतिहास भी पार्किंसन रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष

पार्किंसन रोग मुख्य रूप से वृद्धों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है, विशेष रूप से आनुवंशिक कारकों वाले व्यक्तियों में। यदि आप या आपके कोई परिचित पार्किंसन रोग के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो जल्द से जल्द एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

शुरुआती निदान और उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। शोधकर्ता इस बीमारी के कारणों और प्रभावी उपचारों को खोजने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

डॉ नवीन तिवारी
परामर्श न्यूरोलॉजिस्ट।

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