अलज़ाईमर रोग क़्या होता है, उसके लक्षण क़्या है❓ – डॉ नवीन तिवारी – एशियन न्यूरो सेंटर

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अलज़ाईमर रोग क़्या होता है, उसके लक्षण क़्या है❓ – डॉ नवीन तिवारी – एशियन न्यूरो सेंटर

अल्जाइमर रोग क्या है | What is Alzheimer’s disease

अल्जाइमर रोग एक मानसिक रोग के रूप में जाना जाता है | इसमें मस्तिस्क की कोशिकाएँ खुद ही बनने और ख़त्म होने लगती हैं जिससे रोगी के मानसिक कार्यों और याददाश्त में गिरावट आने लगती है | इस रोग में रोगी अपने दैनिक कार्यों में भूलने और सही से किसी भी चीज़ का अनुमान लगाने में गलती करने लगता है |

अल्जाइमर रोग अधिकतर आनुवंशिक कारणों से, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारणों से भी हो सकता है | यह धीरे धीरे बढ़ता है और मस्तिष्क पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है |

इस रोग में मस्तिष्क की कोशिकाएँ मरने लगती हैं | स्वस्थ मनुष्य के दिमाग की तुलना में अल्जाइमर के रोगी के दिमाग कि कोशिकाएँ बहुत कम होती हैं और जीवित कोशिकाओं से इनका संपर्क बहुत कम होता है |

अल्जाइमर रोग तीन चरणों में होता है | Alzheimer’s Disease Occurs in Three Stages

प्रारंभिक चरण रोगी की याददाश्त में कमी आने लगती है | इसमें रोगी के बर्ताव में कुछ बातें जैसे शब्द याद रखने में परेशानी, नाम भूलना, पढ़ी बातों को भूल जाना, चीज़ों को रखकर भूल जाना आदि समस्या आने लगती हैं |

दूसरा चरण यह सबसे लम्बे समय तक चलता है और इसमें रोगी की देखभाल भी बहुत अधिक करनी होती है | इसमें रोगी का व्यवहार बदल जाता है | इसमें रोगी स्नान करने से मना करता है, अपनी बातों को अभिव्यक्त करना मुश्किल हो जाता है | व्यक्तिगत और व्यावहारिक स्थिति में बदलाव आने लगते हैं | नींद अधिक आने लगती है |

तीसरा चरण यह सबसे खतरनाक होता है जिसमें रोगी अपने आस पास के वातावरण में प्रतिक्रिया करने में असमर्थ हो जाता है और किसी भी चीज़ पर नियंत्रण खो देता है | रोगी का दैनिक जीवन पूरी तरह से बिगड़ जाता है |

अलज़ाईमर रोग क़्या होता हैँ, उसके लक्षण क़्या हैँ❓, इलाज इंदौर मे - डॉ नवीन तिवारी

अल्जाइमर रोग के लक्षण | Symptoms of Alzheimer’s Disease

इस रोग में पहले बहुत कम लक्षण दिखते हैं | ये समय के बाद धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं और विकट परिस्तिथि पैदा कर देते हैं | जैसे कि: 

  • शुरुआत में छोटे बदलाव होने लगते हैं|
  • चीज़ों को समझने में परिवर्तन आने लगता है|
  • सोचने और समझने कि क्षमता में कमी आने लगना |
  • दूरी, रंग, समय में भेद न कर पाना|
  • चिंता में बढ़ोतरी और सामाजिक कार्यों से अलगाव होना|
  • कुछ समय बाद इन्हीं परेशानियों में गहराई आने लगती है |
  • रोगी अपनों को ही पहचानने में असमर्थ हो जाता है |
  • भाषा और विचारों की समस्या होने लगती है |
  • वहम, भ्रम, संदेह, पागलपन और चिडचिढाना होने लगता है |
  • अधिक गुस्सा करना तथा उठना-बैठना, चीज़ों को भूल जाने जैसे भ्रम बढ़ने लगते हैं |
  • इसके आखिरी बढ़ते प्रभावों में मूत्राशय कि परेशानी बढ़ जाती है |
  • वजन घटने लगता है |
  • दौरे पड़ने लगते हैं |
  • त्वचा संबंधित समस्याएँ होने लगती हैं |
  • कराहने लगते हैं और खाना निगलने में कठिनाई होने लगती है |

एशियन न्यूरो सेंटर जहां बेल्स पाल्सी (चेहरे का पक्षाघात) के उपचार में कुशल सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट स्थिति का आकलन करते हैं, गुणवत्ता देखभाल सुनिश्चित करने और आपके तंत्रिका संबंधी विकार बेल्स पाल्सी की सफल वसूली सुनिश्चित करने के लिए दवाएं देते हैं।

डॉ नवीन तिवारी

परामर्श न्यूरोलॉजिस्ट।

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