मिर्गी से जुडी भ्रान्तियां – डॉ. नविन तिवारी

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मिर्गी दौरे के समय जब रोगी के शरीर में अकड़न आने लगती है और मुंह से झाग निकलने लगता हैं तो लोग तरह-तरह की बाते सोचने लगते हैं। कुछ लोग मरीज को जूता सुंघाने लगते है, तो कुछ लोग इस बीमारी को भूत-प्रेत के कारण बताने लगते है। दरअसल यह कोई मानसिक रोग नहीं अपितु मस्तिष्कीय विकृति है।

डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के बारे में कभी भी परिवार वालों से छुपाना नहीं चाहिए और समय पर इसकी पूरी जानकारी अपने परिवार वालों को देकर अपना इलाज शुरू करना चाहिए। ऐसा करने से आपको तुरंत इस बीमारी से राहत मिलेगा। 20 से 30 प्रतिशत मरीज दवा पर निर्भर रहते हैं तो वहीं 10 प्रतिशत मरीजों को ऑप्रेशन की जरूरत पड़ती है। मिर्गी की बीमारी दो प्रकार की होती है। कुछ मरीजों को दिमाग के एक हिस्से में मिर्गी का दौडा पड़ता है, तो वहीं कुछ मरीजों के दिमाग के पूरे हिस्से में मिर्गी का दौड़ा पड़ता है। अगर आप इसका इलाज समय से करवा लें तो लगातार दो से तीन साल तक इसका दवा खाने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

मिर्गी रोग से जुडी भ्रान्तियां, बचाव का तरीका, मिर्गी इलाज इंदौर में, डॉ. नविन तिवारी

मिर्गी रोग से जुड़ी भ्रांतिया –

  • मिर्गी पीड़ित लोग मानसिक रूप से भी कमजोर हो सकते है।
  • मिर्गी के रोगियों की शादीशुदा जिंदगी भी बहुत कस्टदायक होती है।
  • मिर्गी से पीड़ित महिलाओं के बच्चे नहीं हो सकते।
  • मिर्गी का इलाज जादू – टोना है।
  • विवाह मिर्गी का इलाज है।
  • मिर्गी का दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ लेना चाहिए।
  • मिर्गी में जूता, प्याज सूंघना चाहिए या हाथ में चाभी देनी चाहिए।
  • मिर्गी में मरीज के मुंह में चम्मच देना चाहिए।
  • मिर्गी का दौरा सामाजिक कलंक है।
  • मिर्गी का दौरा छुआछूत से फैलता है।
  • मिर्गी भूत प्रेत के कारण होती है।

यदि किसी रोगी को मिर्गी का अचानक दौरा पड़े तो क्या करना चाहिए-

चोट पहुंचा सकने वाले सामान जैसे की टेबल, कुर्सी, चाकू, इत्यादि को मरीज के आस-पास से हटा दे, ताकि मरीज के गिर जाने पर कोई चोट न लगे। रोगी ने जो कपड़े पहन रखे हों उन्हें ढीला कर देना चाहिए और एक तरफ करवट लिटा देना चाहिए। मरीज के गले के पास के और अन्य तंग कपड़ों को ढीला कर दे। इससे दौरे में यदि मरीज़ को उल्टी या मुंह से झाग निकलता है तो वह सांस की नली में नहीं जा पाएगा। पीड़ित व्यक्ति को एक ओर घुमाए ताकि उसके मुंह में कोई द्रव हो तो वह सुरक्षित तरीके से बहार निकल जाए,जब रोगी व्यक्ति को मिर्गी रोग का दौरा पड़े तो दौरे के समय रोगी के मुंह में रूमाल या कपड़ा लगा देना चाहिए ताकि उसकी जीभ न कटे।दौरा खत्म हो जाने पर मरीज को देखे की उसमें असमंजस के लक्षण तो नहीं है। मरीज चाहे तो उसे सोने दे या आराम करने दे।

“मिर्गी रोग एक साध्य बीमारी है। मिर्गी रोग से डरें नहीं, इसे समझें और इलाज कराये।”

 

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Dr. Navin Tiwari
Consulting Neurologist

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