मासिक धर्म माइग्रेन जिसे कैटामेनियल माइग्रेन के नाम से भी जानते है लोग इस शब्द का प्रयोग वास्तविक मासिक धर्म माइग्रेन और मासिक धर्म से संबंधित माइग्रेन दोनों का वर्णन करने के लिए किया जाता है । लगभग 7 -14% महिलाओं को मासिक धर्म के समय ही माइग्रेन हो जाता है, इन्हें मासिक धर्म माइग्रेन कहा जाता है । ज्यादातर महिला प्रवासियों को मासिक धर्म चक्र के दौरान माइग्रेन के हमलों का अनुभव होता है, जो मासिक धर्म के दौरान बढ़ी हुई संख्या के साथ होते हैं, इन्हें मासिक धर्म से संबंधित या मासिक धर्म से शुरू होने वाले माइग्रेन के रूप में जाना जाता है ।
पीरियड्स में होने वाले माइग्रेन के कुछ इलाजो के बारे में मेने निम्नलिखित रूप से बताया है :–
एस्ट्राडियोल (Estradiol) : जब शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल घट जाता है तो सप्लीमेंट के रूप में उसका सेवन करने से माइग्रेन की समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है। एस्ट्राडियोल ओवरी द्वारा उत्पन्न होने वाला फीमेल सेक्स हार्मोन है। पीरियड्स के पहले चक्र को ल्यूटियल फेज कहते हैं इस बीच एस्ट्रोजन का लेवल पर्याप्त होता है। कृत्रिम रूप से एस्ट्राडियोल शरीर में पीरियड्स के दौरान ल्यूटियल फेज में इसकी भरपाई करता है और माइग्रेन के खतरे को कम करता है। 1.5 मिलीग्राम एस्ट्राडियोल जेल की खुराक लेने से माइग्रेन के दर्द में आराम मिल सकता है।
ट्रिप्टान्स (Triptans) : ट्रिप्टांस माइग्रेन के इलाज में उपयोग होने वाली एक प्रकार की दवा है। यह ब्लड वेसल्स को छोटा कर देता है और सूजन से निजात दिलाता है। वैसे तो माइग्रेन वैस्कुलर डिसऑर्डर है इसलिए यह दवा दर्द को कम करता है । सामान्य तरह के ट्रिप्टान्स जैसे फ्रोवाट्रिप्टान, नाराट्रिप्टान, सुमाट्रिप्टान और जोल्मिट्रिप्टान जैसी दवाएं पीरियड के दौरान दर्द को काफी हद तक कम करता हैं।
मैं उम्मीद करता हूं की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको माइग्रेन और मासिक धर्म के बारे में पता चल गया होगा यदि आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए तो Asian Neuro Center इंदौर से संपर्क करें।
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